पुस्तक समीक्षा: प्रेम और महत्वाकांक्षाओं की उलझन है UPSC Wala Love: Collector Sahiba 2 (कलेक्टर साहिबा 2)

 

 पुस्तक समीक्षा: प्रेम और महत्वाकांक्षाओं की उलझन है UPSC Wala Love: Collector Sahiba 2 (कलेक्टर साहिबा 2)

उपन्यासकार: कैलाश मांजू बिश्नोई

प्रकाशन: मंजुल पब्लिशिंग हाउस

समीक्षक: नृपेन्द्र अभिषेक नृप

पृष्ठ संख्या: 208

प्रकाशन वर्ष: 2024

मूल विषय: प्रेम, कैरियर और यूपीएससी की तैयारी


पुस्तक समीक्षा: UPSC Wala Love: Collector Sahiba (कलेक्टर सहिबा) प्रेम और संघर्ष की कहानी




कैलाश मांजू बिश्नोई की पुस्तक कलेक्टर साहिबा 2 अपने पहले भाग की अपार सफलता के बाद पाठकों के समक्ष आई है। जहाँ कलेक्टर साहिबा का पहला भाग एंजल और गिरीश के प्रेम के चरमोत्कर्ष को प्रस्तुत करता है, वहीं दूसरा भाग न केवल उनके रिश्तों में आई पेचीदगियों का गहरा चित्रण करता है बल्कि सामाजिक मुद्दों को भी छूता है। इस उपन्यास में करियर, प्रेम, और आत्म-सम्मान के बीच की खींचतान को बड़े ही प्रभावशाली ढंग से दिखाया गया है, जो पाठकों को रिश्तों की जटिलताओं और महत्त्वाकांक्षाओं के टकराव पर गहराई से विचार करने पर मजबूर करता है।


पुस्तक की कहानी गुरु अधिकारी एंजल और उसके सच्चे प्रेमी गिरीश के इर्द-गिर्द घूमती है। जहाँ पहले भाग में दोनों का प्रेम परवान चढ़ता है, वहीं दूसरे भाग में एंजल की महत्वाकांक्षाएं और गिरीश की भावनाएं आपस में टकराती हैं। एंजल का गुरु बनना उसकी ज़िन्दगी को बदल देता है, लेकिन इसके साथ ही वह करियर और प्रेम के बीच उलझ जाती है। गिरीश, जो उसे दिल से चाहता है, आत्म-सम्मान और भावनाओं के द्वंद्व में फंसता है। कलेक्टर साहिबा 2+ का मुख्य केंद्र बिंदु है, प्रेम और करियर के बीच संतुलन बिठाने की कठिनाई। लेखक ने एंजल के संघर्ष को बखूबी उकेरा है, जब वह अपनी महत्वाकांक्षाओं की ओर बढ़ती है, लेकिन अपने सच्चे प्रेमी गिरीश को भूल नहीं पाती। एंजल का गिरीश को धोखा देकर बड़े राजनीतिक घराने से सगाई करना, फिर बाद में उसे छोड़कर लौटना, दर्शाता है कि कैसे करियर


और सामाजिक प्रतिष्ठा कभी-कभी व्यक्तिगत रिश्तों को प्रभावित करती है। यह कहानी पाठकों के सामने यह सवाल खड़ा करती है कि क्या प्यार और करियर एक साथ निभाए जा सकते हैं, या फिर किसी एक की बलि चढ़ानी ही पड़ती है? इस मुद्दे को एंजल और गिरीश के माध्यम से खूबसूरती से बयां किया गया है, जहाँ गिरीश की स्थिति ऐसी है कि वह अपने आत्म-सम्मान और एंजल के प्रति अपने प्रेम के बीच फंसा हुआ है। लेखक ने एंजल के किरदार के माध्यम से उस मानसिकता को दिखाया है, जहाँ महत्त्वाकांक्षाएं और सामाजिक प्रतिष्ठा रिश्तों को पीछे धकेल देती हैं। जब एंजल राजनीतिक घराने से सगाई करती है और अंत में एक अमीर बिजनेसमैन दिव्य प्रकाश से शादी कर लेती है, तो यह समाज में प्रचलित गोल्ड डिगर प्रवृत्ति की ओर भी इशारा करता है। प्रेम और धोखे का यह मिश्रण पाठकों को हर मोड़ पर उलझन में डालता है और उन्हें सोचने पर मजबूर करता है कि क्या सच्चे प्यार का आज की महत्वाकांक्षी दुनिया में कोई स्थान है? कलेक्टर साहिबा 2 केवल एक प्रेम कहानी नहीं है, बल्कि यह


कई महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों को भी उठाती है। लेखक ने बाल विवाह और युवाओं में बढ़ती नशे की लत जैसे संवेदनशील मुद्दों को प्रमुखता से प्रस्तुत किया है। डॉ. कृति भारती के माध्यम से बाल विवाह पर सशक्त संदेश दिया गया है, जो पाठकों को इस गंभीर समस्या के प्रति जागरूक करता है। वहीं, गिरीश के किरदार द्वारा लेखक ने युवाओं में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त की है। यह उपन्यास समाज के इन पहलुओं की ओर ध्यान आकर्षित करने में सफल रहता है, जो आज भी हमारे समाज में प्रासंगिक हैं।


लेखक ने उपन्यास के माध्यम से किस्मत और जीवन के बारे में भी गहरे विचार प्रस्तुत किए हैं। उन्होंने यह दिखाने की कोशिश की है कि किस्मत के बारे में किसी को कुछ पता नहीं होता, और जो जीवन में असफल हो जाते हैं, उनके लिए % किस्मत% शब्द शायद तसल्ली देने के लिए ही बनाया गया है। यह विचार पाठकों को अपने जीवन में किस्मत की भूमिका पर विचार करने के लिए प्रेरित करता है और उन्हें सोचने पर मजबूर करता है कि क्या सच में सब कुछ किस्मत पर निर्भर करता है, या फिर यह हमारे अपने


प्रयास और फैसले हैं जो जीवन की दिशा तय करते हैं। कैलाश मांजू बिश्नोई की लेखनी सरल और प्रभावी है, जो पाठकों को कहानी के साथ बांधे रखने में सफल होती है। उनकी शैली ऐसी है जो न केवल भावनाओं को गहराई से बयां करती है, बल्कि सामाजिक मुद्दों को भी स्पष्टता के साथ प्रस्तुत करती है। संवादों में गहराई और संवेदनशीलता है, जो पात्रों के बीच के रिश्तों को और अधिक वास्तविक बनाते हैं। कलेक्टर साहिबा 2 एक ऐसा उपन्यास है जो प्रेम, करियर, आत्म-सम्मान और सामाजिक मुद्दों को बारीकी से बुनता है। यह उपन्यास न केवल एंजल और गिरीश के रिश्तों की उलझन को दिखाता है, बल्कि पाठकों को यह सोचने पर भी मजबूर करता है कि जीवन में क्या ज्यादा महत्वपूर्ण है प्रेम या महत्त्वाकांक्षाएं? लेखक ने भावनाओं की जटिलताओं और सामाजिक मुद्दों को जिस तरह से प्रस्तुत किया है, वह पुस्तक को अत्यधिक प्रभावी बनाता है। यदि आप एक ऐसी कहानी पढ़ना चाहते हैं जो रिश्तों की गहराई और सामाजिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करे, तो कलेक्टर साहिबा 2+ आपके लिए एक अनिवार्य पढ़ाई है।

अतिरिक्त जानकारी:


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