जाने मेजर ध्यानचंद खेल रत्न से सम्मानित अवनी लखेरा का जीवन परिचय | Avani lakhera Biography
टोक्यो ओलंपिक में भारत के खिलाड़ियों ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए विगत वर्षों में हुए ओलंपिक प्रतियोगिताओं में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए विभिन्न श्रेणियों में 1 गोल्ड 2 रजत और 4 कांस्य पदक हासिल करने में सफल रहे। इतना ही नहीं टोक्यो ओलंपिक के पश्चात आयोजित हुए टोक्यो पैरा ओलंपिक में भारत के पैरा खिलाड़ियों ने भी मेडलों की झड़ी लगाकर देश को गौरवान्वित किया।
टोक्यो पैरा ओलंपिक के खिलाड़ियों ने अपनी प्रतिभा के दम पर पदक जीतकर उन सभी विकलांग व्यक्तियों के मध्य चेतना जागृत की करने का कार्य किया है जो अपने आप को किसी कार्य के योग्य नहीं समझते हैं। निश्चित ही भारत के इन पैरा खिलाड़ियों का उत्कृष्ट प्रदर्शन देश के सभी विकलांगों के लिए प्रेरणादायक सिद्ध होगा। आज हम इस पोस्ट के माध्यम से टोक्यो पैरा ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीत कर सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित करने वाली भारतीय निशानेबाज अवनी लखेरा के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी साझा करेंगे जो निश्चित ही आपके लिए रुचिकर व प्रेरणादायक सिद्ध होगी आप से निवेदन है इस पोस्ट को पुरी पढ़ने के साथ अपने उन दोस्तों के साथ अवश्य साझा करें जो अपने आप को किसी कार्य के लायक नहीं समझते हैं ताकि उन्हें अवनी की सफलता से प्रेरणा मिले और वो अपना खोया हुआ आत्मविश्वास विश्वास पुनः पा सके।
अवनी लखेरा जीवन परिचय : Avani Lakhera Biography
20 वर्षीय अवनी लखेरा का जन्म जयपुर के मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। इनके पिता का नाम श्री प्रवीण कुमार लेखरा है व इनकी माता का नाम श्वेता जेवरिया है। अवनी ने शिक्षा में एलएलबी उत्तीर्ण है इसके बावजूद उन्होंने वकालत करने के बजाय शुटिंग को अपने जीवन का प्रयाय बनाया और शीर्ष मुकाम हासिल करने में सफल हुई। दरअसल अवनी के शुटिंग चैंपियन बनने के पीछे एक दर्दनाक कहानी छुपी हुई है।
पेशेवर परिचय
मूलतः राजस्थान की राजधानी गुलाबी नगर से संबंध रखने वाली खेल रत्न से सम्मानित अवनी लखेरा एक भारतीय पैरा राइफल निशानेबाज है। टोक्यो में आयोजित हुई पैरा ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतकर देश को गौरवान्वित किया। इसके साथ ही इन्हें भारत को पैरा ओलंपिक में स्वर्ण पदक दिलाने वाली प्रथम महिला होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। अवनी भारत की तीसरी पैरा शुटर खिलाड़ी है।
अवनी महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल शूटिंग रेंज में एसएच1 श्रेणी में विश्व विश्वभर में 5वें नंबर पर है। इससे पहले भी अवनी ने वर्ष 2018 में भी एशियाई पैरा ओलंपिक शूटिंग प्रतियोगिता में भाग लिया जिसमें वो R2 की श्रेणी में 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग और R6 मिक्सड में 50 मीटर राइफल प्रोन में तीसरा स्थान हासिल करने में सफल रही।
अवनी का शुटिंग को जीवन का प्रयाय बनाना
बेटियां परिवार, समाज और देश का गौरव होती है। भारत की महान भूमि पर सदा से ही महिलाओं ने अपने कार्यों से देश को गौरवान्वित किया है। ऐसी ही एक भारत की बेटी है अवनी लखेरा! जिन्होंने टोक्यो पैरा ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतकर अपनी काबिलियत साबित की। अवनी के शूटिंग को अपने जीवन का पर्याय बनाने के पीछे एक दर्दनाक कहानी छुपी हुई है। दरअसल इनके पिता पहले दौलतपुर में कार्य करते थे इसी दौरान एक बार जयपुर से दौलतपुर जाते वक्त इनका परिवार सड़क हादसे का शिकार हो गया जिसमें वह और अवनी बुरी तरह जख्मी हो गए। कुछ समय पश्चात धीरे-धीरे वह तो ठीक हो गए लेकिन अवनी लगभग 3 महीने तक अस्पताल में भर्ती रही। हादसे के दौरान अवनी की रीड की हड्डी में चोट आने से वह खड़े होने और चलने में असमर्थ हो गई।
इससे हादसे से अवनी उभर नहीं पाई और अवसाद से घिर गयी। वो सबसे दूर रहने लगी और अपने आप को एक कमरे तक सीमित कर लिया। अवनी की इस स्थिति से परिवार के सभी लोग परेशान हो उठे। इस विकट परिस्थिति में अवनी को अवसाद से उबारने में कामयाब रही एक पुस्तक जिसे उसके पिता ने पढ़ने के लिए ला कर दी। वह पुस्तक भारत के महानतम राइफल निशानेबाज अभिनव बिंद्रा की जीवनी थी।
इससे पुस्तक को पढ़ने के पश्चात अवनी न केवल अवसाद से उबरने में कामयाब रही बल्कि अभिनव बिंद्रा से प्रेरित होकर निशानेबाजी करने का फैसला किया।
इसके पश्चात वो घर के पास स्थित शूटिंग रेंज में जाकर हर रोज शूटिंग का अभ्यास करने लगी। अवनी को प्रशिक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले सुभाष राणा, जेपी नौटियाल एवं चंदन सिंह हैं।
मैं अपने कोच सर के निर्देशानुसार अभ्यास करने में जुटी रही और अभ्यास करने के साथ-साथ मैंने अपना शत प्रतिशत देना शुरू कर दिया। अतः मेरे शत प्रतिशत अभ्यास एवं कठिन परिश्रम के कारण मुझे यह सफलताएं प्राप्त हुई है। इसके लिए में ईश्वर की आभारी हूं।
अवनी लखेरा
स्वर्ण पदक विजेता (टोक्यो पैरा ओलंपिक)
मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार विजेता
अवसाद से सफलता के शीर्ष तक का सफर
रोड दुर्घटना में अपनी रीड की हड्डी टूटने व आधा शरीर लकवा से ग्रसित होने के बाद टोनी अवनी अवसाद से घिर गई। परिवार से मिलना जुलना बंद कर अपने आप को एक कमरे तक सीमित कर लिया। अपने पिता की समझाइश वह अभिनव बिंद्रा की जीवनी पढ़ने के पश्चात उसमें आत्मविश्वास की जागृति हुई और वह पुनः सबके सामने एक नए रूप में उपस्थित हुई। वकील बनने की चाहत रखने वाली अवनी
इस दुर्घटना के बाद खड़े होने व चलने में असमर्थ हो गई परंतु व्हील चेयर पर बैठकर अब वह शूटिंग के माध्यम से कैरियर बनाने का फैसला कर चुकी थी। उनके इस फैसले में माता-पिता का अतुल्य सहयोग रहा। म्हारा प्रतियोगिता में अवनी के साथ रहती है और उसका हौसला अफजाई करती है।
दुर्घटना के पश्चात अपने आप को कुछ करने लायक नहीं समझने वाली अवनी ने अभिनव बिंद्रा से प्रेरित होगा निशानेबाजी को केवल कैरियर के लिए फ्री नहीं चुनाव किया बल्कि उसे अपने जीवन का पर्याय बनाया। इसी का परिणाम है कि अवनी टोक्यो में आयोजित पैरा ओलंपिक में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक जीतने में कामयाब रही। यह टोक्यो पैरा ओलंपिक 2021 में भारत के लिए पहला स्वर्ण पदक था। उसने 249.6 अंक अर्जित कर गोल्ड मेडल जीता।
अवनी को वर्ष 2019 में मोस्ट प्रोमिशिंग पैरालंपिक एथलीट्स पुरस्कार, 2020 में टोक्यो पैरा ओलंपिक में स्वर्ण पदक पुरस्कार से सम्मानित किया।
वर्तमान में अवनी राजस्थान में वन विभाग में ACF के पद पर सेवारत है। अवनी के स्वर्ण पदक जीतने पर वन एवं पर्यावरण मंत्री सुखराम बिश्नोई (राजस्थान सरकार) ने बधाई दी।
मेजर ध्यानचंद खेल रतन पुरस्कार सम्मानित हुई अवनी लखेरा
टोक्यो में आयोजित हुई पैरा ओलंपिक 2021 में स्वर्ण पदक जीतकर चर्चा में आई अवनी को हाल ही में वर्ष 2021 के लिए भारत के राष्ट्रपति महामहिम रामनाथ कोविंद द्वारा मेजर ध्यानचंद खेल रतन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
इस प्रकार इस पोस्ट में हमने भारत की पैरा गोल्डन गर्ल अवनी लखेरा के जीवन परिचय, अवसाद से सफलता तक की संपूर्ण विस्तृत रूप से जानकारी साझा की है। यदि आप हमसे अवनी लखेरा से संबंधित कोई सुझाव, शिकायत या सूचना देना चाहते हैं तो टिप्पणी बॉक्स में टिप्पणी अवश्य करें।
नवीनतम अपडेट के लिए बने रहें ई-मित्रा हेल्प ब्लॉग के साथ।
Post a Comment